क्यों न एक नए दौर का आगाज़ मिलकर अब करें। क्यों न एक नए दौर का आगाज़ मिलकर अब करें।
हरियाली से मैदानों का, ये देश है मेरे किसानों काI हरियाली से मैदानों का, ये देश है मेरे किसानों काI
'बाप के होटल' में खा रहे हो इस ताने से उकता गया है वो 'बाप के होटल' में खा रहे हो इस ताने से उकता गया है वो
अपनी आखरी सांस तक बोली थी वो... मुझे जीना है अपनी आखरी सांस तक बोली थी वो... मुझे जीना है
ज़िंदगी ना जाने क्या समझा रही है ग़ालिबन जीना मुझे सीखा रही है ज़िंदगी ना जाने क्या समझा रही है ग़ालिबन जीना मुझे सीखा रही है
सिर्फ एहसास है यह जज़्बात का करीब न होकर भी करीब है हम इस बात का हर लम्हा इश्क बढ़ाती ये बारिशें सिर्फ एहसास है यह जज़्बात का करीब न होकर भी करीब है हम इस बात का हर लम्हा इश्क बढ़...